November 3, 2021

Hanuman Jyanti 2021 Special | Katha

Loading

हनुमान् जयन्ती उत्सव ०३नवम्बर२०२१
——––———————————————
*अगस्त संहिता*

मे कहा गया है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, मंगलवार, स्वाती नक्षत्र, एवं मेष लग्न मे अंजनी के गर्भ से स्वयं शिवजी ने कपीश्वर जी के रुप अवतार लिया था।
ऊर्जे कृष्ण चतुर्दश्यां भौमे स्वात्यां कपीश्वरः।
मेषलग्नेअञ्जनागर्भात् प्रादुर्भूतः स्वयं शिवः।।

वायुपुराण

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को स्वाती नक्षत्र मंगलवार एवं मेष लग्न मे अंजना के गर्भ से मारुति के रुप मे स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए।
आश्विनस्यासिते पक्षे स्वात्यां भौमे च मारुतिः।
मेषलग्नअञ्जनागर्भात् स्वयं जातो हरः शिवः।।
दूसरा मत यथा आनन्द रामायण मे उल्लेख है कि कि चैत्र शुक्ल की एकादशी को मघा नक्षत्र में रिपुसूदन हनूमान् जी का जन्म हुआ था। कुछ विद्वान कल्पभेद से चैत्रपूर्णिमा को हनूमान् जी का शुभ जन्म मानते हैं।
चैत्रे मासि सिते पक्षे हरिदिन्यां मघाभिवे।
नक्षत्रे स समुत्पन्नौ हनुमान रिपुसूदनः।।
महाचैत्रीपूर्णिमायां समुत्पन्नौअञ्नीसुतः।
वदन्ति कस्पभेदेन बुधा इत्यादि केचन।।

इस सम्बंध में विद्वानों की मान्यता यह है कि चैत्र पूर्णमापर हनुमान् जी का जन्म हुआ था, वहीं कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को माता सीता जी ने हनूमान् जी को सिन्दूर प्रदान किया था। इसलिए कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनूमान् जयन्ती के रुप मे मनाया जाता है।
देशाचार के अनुसार
चैत्रपूर्णिमा पर → दक्षिण भारत में
कार्तिक चतुर्दशी पर → उत्तर भारत में
हनूमान् जयन्ती पर्व मनाने का निर्देश मिलता है।

विशेष :-
•••••••
हनुमानजी के स्वरुपों मे सर्वाधिक शक्तिशाली स्वरुप है एकादशमुख स्वरुप। हनूमान् जी के इस स्वरुप की उपासना से जहाँ शत्रुओं का शमन होता है, वहीं सभी प्रकार के उपद्रवों से रक्षा, मनोकामना की पूर्ति, सभी प्रकार की सम्पदा की प्राप्ति, पुत्र धन आदि की प्राप्ति, उग्र शत्रु का मर्दन जैसे फल प्राप्त होते हैं।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *