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प्रार्थना के कई स्तर है, प्रार्थना हमेशा ईश्वर को समझने/ महसूस करने का रास्ता है। प्रार्थना हमेशा ईश्वर के साक्षत्कार करने का तरीका है।
एक आदमी साईकिल द्वारा हाइवे पर जा रहा है, दूसरा मोटर साईकिल से, तीसरा कार से, तथा चौथा तेज रफ्तार की सुपरफास्ट ट्रेन से, सभी के सभी एक ही ओर जा रहे है। यहां एक धीमी गति से, एक तेज गति से जा रहा है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि वह क्या चलाता है, वह कौन सा साधन पकड़े है।
यहाँ वाक चार प्रकार के, बैखरी वाक, मध्यमा वाक, पश्यन्ति वाक, परा वाक ।
बैखरी लेवल पर प्रार्थना का एक निश्चित दायरा है, जबकि मध्यमा मानसिक स्तर पर प्रार्थना का अपना प्रभाव है, इसके आगे जब प्रार्थना पश्यन्ति स्तर होती है तो एक छोटा सा स्पंदन लक्ष्य को पूरा कर देता है। क्योंकि वहां Frictionless flow ( घर्षण हीन होकर बहता है ) ।
यहां ” जो ईच्छा करो मन माही, प्रभु प्रताप कछु दुर्लभ नहीं ” कहावत चरितार्थ होती है।
चेतना के इस स्तर से प्रार्थना तुरंत सुनी जाती है।
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हमने किस स्तर से प्रार्थना की या इच्छा की।
कोई भी प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाती, बिल्कुल भी कोई भी प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाती, सफलता प्रार्थना के स्तर पर निर्भर करती है।