May 1, 2022

Akshaya Tritiya Katha Hindi|Shri Krishna Reveal To Yudhister

 44 total views,  14 views today

अक्षय तृतीया की कथा:-
~~~~~~~~~~~~~
एक बार महाराजा युधिष्ठिर को अक्षय तृतीया के बारे मे जानने की उत्कट अभिलाषा हुई। तब उन्होंने सिंहासन पर विराजमान देवकीनंदन पुराण पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में मस्तक झुका कर प्रणाम किया और इसके बारे मे पूंछा। तब लीलाधारी नंद नंदन ने कहा कि हे राजन ! धार्मिक दृष्टि से यह तिथि अत्यंत ही पुण्यदायिनी है। इसके संबंध में एक दिव्यकथा है।


हे नरशार्दूल युधिष्ठिर! प्राचीन काल में’महोदय’ नामक बहुत ही निर्धन ,आस्तिक तथा गौ,ब्राह्मण पूजक एक वैश्य था। उसने किसी ब्राह्मण द्वारा इसका माहात्मय श्रवण किया। तब उसी दिन गंगा स्नान और पितृ तर्पण श्राद्धादि कर,सुंदर पात्रों में सत्तू,अन्न,नमक,चावल,गुड़,स्वर्ण, वस्त्र,छाता आदि दान करने से उसका पुण्य शाश्वत हो गया। आगे चलकर वही वैश्य कुशवती नामक नगरी का राजा हुआ। अपनी इस अक्षय सम्पत्ति को देखकर राजा को महान आश्चर्य हुआ। तब राजा ने ब्राह्मणों से इसका कारण पूंछा। राजपंडितों ने जब अक्षय तृतीया का माहात्म्य बताना प्रारंभ किया, तभी उसे अपने पूर्व सुकृत की स्मृति हो आयी। उसी दिन से इसका नाम अक्षय तृतीया है। यह मनुष्य को संकटों और गरीबी से उबारने वाली तथा दैहिक, दैविक, भौतिक तापों से शांति दिलाने वाली है।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *