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आरती शब्द अखण्ड है, स्वयं मूल धातु है। संस्कृत वांगमय मे ” आरार्तिख्य स्वागतम ” कहकर आरती शब्द की मीमांसा की गई है, जिसका आशय होता है ” देवताओं के आतिथ्य मे की गई आराधना ” जिससे उसकी सकारात्मक उर्जा को ग्रहण करना और उससे अधिकाधिक कृपा करने की कामना करना।
सामान्यतः आरती 5 वत्तियो से युक्त दीपक द्वारा की जाती है, और ये पंच तत्वों का प्रतीक मानी जाती हैं।
मन मे ये भाव कि पंच तत्व से बना ये शरीर केवल परमात्मा की कृपा से चल रहा है, और मैं पूर्ण श्रद्धा और सद्भावपूर्वक इस शरीर को पंच बत्तियों के माध्यम से आपको समर्पित करता हूँ, मुझे पता है कि मेरा यह पंचमहाभूतों द्वारा रचित शरीर अंततः पंचमहाभूतों मे ही लीन होने वाला है, इसलिए मैं पूर्णतः निज को आपकी शरणागत करता हूं।
आरती के प्रकार
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१- दीप से, २- जल भरे पात्र से, ३- शुचि वस्त्र से ४-पीपल के पत्ते से ५- साष्टांग शरीर से।
सामग्री
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कलश, नारियल, पात्र,सप्त सरिताओं का जल, सुपारी, तुलसी,पान आदि।
समस्त सभी सकारात्मक ऊर्जा का भंडार है।
कहा गया है कि जब सुपारी पर जल डाला जाता है तो उसमें से विशिष्ट प्रकार की तरंग( wave)उत्पन्न होती है, जो हमारी अहंकारी गुण को क्षीण करती है।इसी तरह नारियल सकारात्मक उर्जा से परिपूर्ण है।
सप्त नदियों का जल पर्यावरण सौहार्द्रता का मौलिक गुण है। स्वर्ण, रजत,और ताम्र धातुयें नैष्ठिक शुद्धता की प्रतीक है। इन धातुओं मे मनुष्य में सकारात्मक शक्ति जगाने की सहज प्रवृत्ति है, ये धातुऐ मानव को उर्जान्वित और सकारात्मक बनाती है उसमें आत्म विश्वास जगाती है। पान के पत्ते मे आक्सीजन प्रवाहित करने और भूमि की तरंगों को आकृष्ट करने की क्षमता होती है।शास्त्रों मे नागबेल ( पान की बेल) भूलोक और ब्रह्म लोक को संयुक्त करने की कड़ी माना जाता है, जबकि पान का पत्ता ब्रह्म लोक से आने वाले सकारात्मक तरंगों को ग्रहण कर हममें प्रवाहित करता है। तुलसी की महिमा सर्वव्यापक है, तुलसी का पौधा १५-१६ फीट तक के वातावरण को शुद्ध रखता है।
आरती पूर्णता का प्रतीक है। आरती के अंत मे हमारे उपनिषदो मे यह प्रार्थना है:-
न तत्र सूर्यो भाँति न चन्द्र तारकम् ।
नेमा विद्युतो भाँति कुतो^माग्निः ।।
तमेव भान्तमनुभाति सर्वम ।
तस्य भास्य सर्वमिदं विभांति ।।
अर्थात हे ईश्वर तू जहाँ है, वहाँ न सूर्य है, न चन्द्र न तारे है, न विद्युत और न अग्नि है। तो जो मेरे मेरे हाथ मे दीप है, उससे क्या होगा? इस जगत मे सब कुछ आपसे ही प्रकाशित है, इसलिए अपनी रोशनी से मुझे प्रकाशित कर।