January 15, 2019

ज्योतिष जानिऐ -भाग १

 739 total views,  1 views today

ज्योतिष = ज्योति+ईश अर्थात ईश्वर का प्रकाश जहां पर कुछ भी छुपा नहीं रहता,
प्रकाश देने वाले पदार्थों को ज्योतिष्क कहा जाता है।
इन ज्योतिष्यों की स्थिति, गति, प्रभाव आदि के विषय मे ज्ञान देने वाली विद्या को ज्योतिष कहा जाता है। तथा जिस ग्रंथ मे यह विद्या संकलित हो उसे ज्योतिष शास्त्र कहते है, और इस शास्त्र को जानने वाले को ज्योतिषी कहलाता है।
संसार की सबसे प्राचीन पुस्तक “वेद” है, जो अपौरुषेय माना जाता है, अर्थात वेद की रचना स्वयं विधाता ने की।वेद के छः अंग हैं।
१- शिक्षा
२- कल्प
३- व्याकरण
४- निरुक्त
५- छन्द
६- ज्योतिष ।
वेद ब्रह्मा के मुख से प्रकट हुआ अतः वेद प्राकट्यकर्ता होने के नाते ब्रह्मा जी ही इस ज्योतिष शास्त्र के आदि प्रवर्तक हैं। बाद मे ज्योतिष शास्त्र को विस्तारित प्रचारित करने वाले पूर्व कालीन ऋषियों के नाम इस प्रकार है।
१-ब्रह्मा, २ – सूर्य, ३- वशिष्ठ, ४- अत्रि, ५-मनु, ६- सोम,७- लोमश, ८- मरीचि, ९-अंगिरा, १०-व्यास,११- नारदजी, १२- शौनकजी,१३- भृगु ऋषि १४- च्यवनऋषि, १५- यवन, १६-गर्गमुनि,१७- कश्यप, १८- पाराशर ऋषि।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *