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नक्षत्र :-
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जब चन्द्रमा सूर्य से १३ डिग्री २० अंश की दूरी पर होता है, उस विस्तार को एक नक्षत्र मानते हैं। कुल नक्षत्र २७ ही है।
नक्षत्र नाम– नक्षत्र स्वामी –नक्षत्र चरण–नक्षत्रमान
१)अश्विनी-अश्विनीकुमार-चू,चे,चो,ला-१३डिग्री २०अंश
२)भरणी-काल― ली,लू,ले,लो― २६ डिग्री ४० अंश
३) कृत्तिका ― अग्नि― अ,इ,उ,ए ― ४० डिग्री ००अंश
४) रोहिणी―ब्रह्मा―ओ,वा,वी,वू ― ५३डिग्री २०अंश
५)मृगशिरा- चन्द्रमा- वे,वो,का,को―६६डिग्री ४०अंश
६) आर्दा― रुद्र― कु,घ,ड़,छ ― ८० डिग्री ०० अंश
७)पुनर्वसु―अदिति―के,की,हा,ही― ९३ डिग्री २० अंश
८)पुष्य ― बृहस्पति―हू,हे,हो,डा ― १०६ डिग्री ४०अंश
९)अश्लेषा―सर्प ― डी,डू,डे,डो ―१२० डिग्री ००अंश
१)-मघा―पितर ―मा,मी,मू,मे ― १३३डिग्री २० अंश
११) पू.फाल्गुनी-भग- टे,टो,पा,पी―१४६ डिग्री ४०अंश
१२ )उ.फाल्गुनी-अर्यमा-टे,टो,पा,पी-१६० डिग्री ००अंश
१३)हस्त―सूर्य―पू,ष,ण,ढ ― १७३ डिग्री 2० अंश
१४)चित्रा-विश्वकर्मा-पे,पो,रा,री-१८६ डिग्री ४० अंश
१५)स्वाति- पवन― रु,रे,रो,ता ― २०० डिग्री ०० अंश
१६)विशाखा-शुक्र ― ती,तू,ते,तो ―२१३ डिग्री २० अंश
१७)अनुराधा-मित्र― ना,नी,नू,ने ―२२६ डिग्री ४०अंश
१८)ज्येष्ठा―इन्द्र― नी,यू,यी,यू ―२४० डिग्री ००अंश
१९)मूल―निकुंति―ये,यो,भा,भी ―२५३ डिग्री २० अंश
२०)पूर्वाषाढ़ा- जल-भू,धा,फा,ढा―२६६ डिग्री ४०अंश
२१)उ.षाढ़ा ―विश्वदेव- भे,जो,जा,जी-२८०डिग्री००अं
२२)श्रवण―विष्णु―खी,खू,खे,खो―२९३डिग्री २०अंश
२३)धनिष्ठा- वसु―गा,गी,गू,गे―३०६ डिग्री ४०अंश
२४)शतभिषा-वरुण― गो,सा,सी,सू ―३२० डिग्री ००अं
२५)पू. भाद्रपद-अजक-से,सो,दा,दी,―३३३ डिग्री २०अं
२६)उ. भाद्रपद-अहिर्बुधन्य-दू,थ,झ,ञ-३४६ डिग्री४०अं
२७)रेवती–पूषा―दे,दी,चा,ची, ―३६० डिग्री ००अंश
उक्त नक्षत्रों के अतिरिक्त “अभिजित” नामक एक अन्य नक्षत्र की,भी कल्पना की गई है।इस नक्षत्र को नक्षत्र क्रम मे उत्तरषाढा़ के बाद तथा श्रवण नक्षत्र के पहले स्थान दिया है।
जहां अन्य नक्षत्र ६०घटी का होता है, वहीं अभिजित नक्षत्र १९ घटी का ही होता है।
जिसमें उत्तरषाढा़ नक्षत्र की अन्तिम १५ घटी
+ श्रवण नक्षत्र की पही ०४ घटी इस प्रकार कुल १९ घटी के अभिजित नक्षत्र को स्थान दिया है नक्षत्र सारणी मे।