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ईश्वर=आत्मा=पुरूष
प्रकृति= शक्ति = सहजात स्वभाव
प्रकृति +पुरुष = माया + ब्रह्म
दुर्गा + सदाशिव~~~ ब्रह्मा, विष्णु, महेश
हम जानते है कि संसार की उत्पत्ति एक्कानाद से हुई, जिसे विज्ञान बिग- बैंग थ्यौरी कहते हैं ।
जन्म का कारण ~ काल/स्वभाव/ अदृष्ट
ये कारण मूल कारण के अधीन होंगे।
मूल कारण ― ” स्वगुणो से निगूढ़ा “
स्वगुणै ― अपने से सम्बंधित ( related)= अचित
= सत + रज + तम ।
निगूढ़ाम ~ छिपी हुई ।
अचित = क्रियाशक्ति
चित = ज्ञान शक्ति
दोनों के बीच में बल= काल
” कालोहिबलवन्तरः “
शक्ति~नाद~बिन्दु
प्रमा (ज्ञान)(प्रतीति) इसके दो भाग है:-
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१ )अहमंश इदमंश
आत्मा का ग्राहक(शिव)
अहम।
आत्मा दूसरे की तरफ न देखता
अपने ही प्रकाश में स्थित रहता
है।
( अनन्योन्मुखो^हंप्रत्ययः).
२ )इदमंश
दूसरा ग्राह(शक्ति)
इदम
दूसरे की ओर देखने
वाला विमर्श है।
” इदम प्रत्यय” है
( यस्त्वन्योन्मुखः स-इदमिति प्रत्ययः)
परम अवस्था में इदं रुप, अहमेश के साथ घुलामिला है
ज्ञान की दो कोटियाँ
१- पूर्ण ज्ञान― विश्व का सकल ज्ञान।
२- परिच्छिन्न ज्ञान ― त्रिविध जगत का ज्ञान।अतः सिर्फ प्रकृति ज्ञान तक सीमित सत,रज,तम आदि गुणों तक सीमित, या इलेक्ट्रान,प्रोटान,न्यूट्रॉन आदि तक सीमित ज्ञान।
लगातार………………..