December 22, 2020

Arthritis Causes,Treatment | Health Astrology

 304 total views,  1 views today

गठिया जोड़ो का दुश्मन
गठिया यानी जोड़ो का दर्द २ प्रकार का
(१) हाथ और पैरों की उंगलियों का दर्द।
(२)माँसपेशियों का दर्द, कूल्हों और पुट्ठों का दर्द।

दर्द से पीड़ित वयक्ति को दैनिक काम काज करने मे तकलीफ होती है।
जोड़ो के इस प्रकार मे वायु ही मुख्य कारण होता है, क्योंकि हड्डी और जोड़ों मे वायु का निवास होता है, वायु गड़बड़ा जाने से जोड़ों में दर्द होता है।
हड्डियों के बीच का जोड़ एक झिल्ली से बनी थैली में रहता है, जिसे सायनोवियल कोष कहते है। जोड़ों की छोटी छोटी रचनाएं इसी कोष मे रहती हैं।हड्डियों के बीच की क्रिया ठीक तरह से हो तथा हड्डियों के बीच घर्षण न हो,इसलिए जोड़ो में हड्डियों के किनारे लचीले और नर्म होते हैं।जिन्हें कार्टीलेज कहते है।
इस झिल्ली से पारदर्शी चिकना पदार्थ उत्पन्न होता है जिसे सायनोवियल तरल कहते हैं। यही तरल बाह्य चोट से जोड़ को बचाता है।
गठिया रोग का कारण शरीर में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड का होना है। जब गुर्दों द्वारा यह कम मात्रा में विसर्जित होता है या मूत्र त्यागने की क्षमता कम हो जाती है, तो मोनो सोडियम वाइयूरेत क्रिस्टल जोड़ों के ऊतकों मे जमा होकर तेज उत्तेजना एवं दर्द उत्पन्न करने लगता है। तब प्रभावित भाग मे रक्त संचार असहनीय दर्द पैदा करता है।
गठिया रोगियों का वजन ज्यादा होता है। ये तेल घी मक्खन भोजन के शौकीन होते हैं। ये शारीरिक और मानसिक कार्य नहीं करते। सिर्फ क्रोध और चिंता ज्यादा करते हैं।
रोग के लक्षण → जोड़ और गाठों मे सूजन, जोड़ों में कट कट की आवाज, पैर के अंगूठे मे सूजन, सुबह सवेरे तेज पीड़ा , रात मे तेज दर्द और दिन में आराम,मूत्र कम और पीले रंग का आना।
बचाव→ यदि यूरिक एसिड की मात्रा अधिक पायी जाती है तो खानपान को सही करें।
मांस,मद्यपान, भारी भोजन कम कर दें। योग आसन और सही तरीकें से नियमित व्यायाम करें, खुली हवा की सैर और संयमित आहार ले।उपचार→

(१)कड़वे तेल मे अजवायन और लहसुन जलाकर कर उस तेल की मालिश करने से दर्द में आराम।
(२) एक तोला तिल पीसकर और उसमें एक तोला पुराना गुड़ मिलाकर खाएं और बकरी का दूध पीने से लाभ।
(३) मजीठ,हड़द,बहेरा, आंवला, कुटकी, बच,नीम की छाल, दाख ,हल्दी और गिलोय का काढ़ा पीने से लाभ।
(४) बड़ी इलायची, तेजपात, दालचीनी, शतावर,गंगरेन,पुनर्नवा, असगंध, पीपर,रास्ना, सोंठ,गोखरू, विधारा,तज निशीथ,इन सबको गिलोय के रस मे घोटकर कर गोली बनाकर बकरी की दूध के साथ दो दो गोली सुबह खाने से गठिया दूर होता है।
(५)असगंध के पत्ते पर तेल मे चुपड़कर गर्म कर दर्द के स्थान पर रखने से लाभ होता है।
(६) दशमूलारिष्ट को ४-४ चम्मच दिन में दो तीन बार थोड़ा सा पानी मे मिलाकर पीने से लाभ होता दर्द में आराम होता है।
(७) अश्वगंधा चूर्ण एक ग्राम, शृंगभस्म ५०० मिग्रा और वृहद वात चिंतामणि रस ६५ मिग्रा. तीनों मिलाकर ०३ बार दूध या शहद से लें।
(८) लहसुन को दूध मे उबालकर, खीर बना कर खाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
(९) शहद या घी मे अदरक का रस मिलाकर पीने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
(१०) सौंठ,अखरोट और काले तिल, एक,दो,चार के अनुपात में पीसकर सुबह शाम गरम पानी से दस से पंद्रह ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है।
(११) गठिया के रोगी को भोजन से पहले आलू का रस दो तीन चम्मच पीने से लाभ होता है इससे यूरिक एसिड की मात्रा कम होने लगती है।
(१२) गठिया रोगी को चुकंदर और सेब का सेवन करते रहना चाहिए।इससे यूरिक अम्ल की मात्रा नियंत्रिण मे रहती है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण→ ज्योतिषीय दृष्टि से गठिया रोग शनि, शुक्र और मंगल ग्रह और मकर राशि के दुष्प्रभाव मे रहने से होता है।
यदि किसी की कुंडली में यह ग्रह निर्बल हो तो जातक को इनकी दशा – अन्तर्दशा मे रोग होता है।
आयुर्वेद के अनुसार वात दोष होने से गठिया रोग उत्पन्न होता है, जिसमें यूरिक अम्ल की मात्रा कम हो जाती है। शनि ग्रह वात प्रकृति का है और रोग को धीरे धीरे बढ़ाता है। हार्मोन जो लम्बे अरसे तक चलता है, शुक्र ग्रह वात कफ प्रकृति का है यह शरीर में हार्मोन को संतुलित रखता है। इसलिए इसके दूषित। हो जाने से हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, जिससे शरीर विकृत होने लगता है। मंगल ग्रह पित्त प्रकृति का है, जो रक्त के लाल कणों का कारक है। इसलिए इस ग्रह के दूषित होने से रक्त मे विकार उत्पन्न होने से जोड़ों को शुष्क कर देता है। जोड़ों मे तरल पदार्थ की मात्रा को इतना कम कर देता है कि उठते बैठते जोड़ों में से आवाज आने लगती है और जोड़ विकृत हो जाते हैं।
पुरुष की कुण्डली में दशम भाव और मकर राशि के दूषित होने से गठिया रोग उत्पन्न होते हैं।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *