Category: ज्ञानवर्धक बाते

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वास्तु ― भाग 2

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ग्रह और उससे सम्बन्धित वृक्ष#####################’१- सूर्य :- गूलर,कनेर,कटहल,पिलखन।२- चन्द्रमा :- जामुन, रीठा, करन्ञ,आक,कपास।३- मंगल :- खैर, बेलपत्र, नारियल, शमी।४- बुध...

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भगवान के सभी अवतार भारतवर्ष में क्यों ?

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गायन्ति देवाः किल गीतकानि, धन्यास्तुये भारत भूमि भागे ।स्वर्गापवर्गस्य फलार्जनाय, भवन्ति भू यःपुरुषा सुरत्वात ।।सभी लोको की अपेक्षा पृथ्वी लोक...

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भगवान श्रीकृष्ण की माताएँ

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१- रजोगुणी ― माता देवकी, जो सांसारिक माया गृह मे कैद है।२- सतोगुणी― माता यशोदा, जिनके वात्सल्य मे बड़े होते...

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कलियुग में भारत का इतिहास

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3228― श्रीकृष्ण का अवतरण। 3139― महाभारत का युद्ध। 3102― श्रीकृष्ण को पृथ्वी छोड़ना ― कलियुग की शुरुआत 3102-2139 BC―बृहद्रथ वंश...

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आत्मा को जानो -भाग 2

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पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।Purnam adah Purnam idamPurnat purnam udachyate,Purnasya Purnam adayaPurnam eva vashishyate .( Shantinath Kena Upanishad )That...

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प्रसन्न रहने का तरीका

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प्रसन्नता :- ~~~~~~ संसार में भ्रमित मन ,भावना युक्त मन पहले शांत होता है, फिर एक सूत्रीय अवस्था जिसे बुद्धि...

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वास्तुशास्त्र -भाग १

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भारत देश का कोई भी कार्य बिना देव कल्पना के प्रारम्भ नहीं किया गया। यहां का कोई भी शास्त्र बिना...

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चौंसठ कलाएँ

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भगवान कृष्ण की अलाह्ददिनी शक्ति वृत्ति की चौंसठ कलाएँ हैं।१-गीत२- वाद्य३- नृत्य४- नाट्य५- आलेख्य६- कच्छेद्य-रंगों से शरीर पर शृंगार की...

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शनि साढ़ेसाती – भाग 2

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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के फल( शनि धनु राशि मे विचरण ) और आप पर प्रभाव । ######################### शनि...

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आरती

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आरती शब्द अखण्ड है, स्वयं मूल धातु है। संस्कृत वांगमय मे ” आरार्तिख्य स्वागतम ” कहकर आरती शब्द की मीमांसा...