अव्यक्त से व्यक्त की उत्पत्ति -भाग 28
अव्यक्त ही व्यक्त का कारण है, इसलिए उसकी तलाश है , कार्य – कारण के सिद्धान्त मे सृष्टि का कारण...
अव्यक्त ही व्यक्त का कारण है, इसलिए उसकी तलाश है , कार्य – कारण के सिद्धान्त मे सृष्टि का कारण...
मनुष्य का अनेक योनियों मे जन्म , मनुष्य ,मनुष्य ही बनेे बिल्कुल जरूरी नहीं :―~~~~~~~~~~|||~~~~~~~~~~श्री ब्रह्म-संहिता के श्लोक ५४ के अनुसारयस्त्विन्द्रगोपमथवेन्द्रमहो...
“ग्रहों की स्थिति विशेष और नदी विशेष पर लगने वाले कुंभ” ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ ज्योतिष के इस भाग मे जानिऐ कि ग्रहों...
कला :- शक्ति रुप मे तत्वों की क्रियाएं है।कला :- ” क ब्रह्म लीयते आच्छाद्यतेंं यया, सा कला “अर्थात जिसके...
ज्योतिष मान जाग्रत जगत की एक दिव्य ज्योति का नाम ही जीवन है। ज्योति का पर्याय ज्योतिष है; अथवा ज्यौतिष...
पंचाग :-★★★★★तिथिवारं च नक्षत्रं योगः करणमेव च।यत्रैतत् पञचकं स्पष्टं पञचांग तन्निगद्यते ।।तिथि, वार,नक्षत्र,योग,करण, ये पाँचों जहाँ स्पष्ट हों, उसे पंचांग...
करण :-######तिथि के आधे भाग (१/२) को करण कहते है।कुल ११ करण होते हैं, सात चर करण, चार स्थिर करण...
योग :-^^^^^^^^अश्विनी नक्षत्र के आरम्भ से सूर्य और चन्द्र दोनों मिलकर 800 कला आगे चल चुकते है ,तब एक योग...
नक्षत्र -2^^^^^^^^पंचक नक्षत्र१- धनिष्ठा२- शतभिषा३- रेवती४-पूर्वाभाद्रपद५-उत्तराभाद्रपद~~~~~~~~~~~~~~~~~दग्ध संज्ञक नक्षत्र :-^^^^^^^^^^^^^^^^भरणी नक्षत्र हो एवं रविवार होचित्रा नक्षत्र हो एवं सोमवार होउत्तरषाढा़ नक्षत्र...
नक्षत्र :-~~~~~जब चन्द्रमा सूर्य से १३ डिग्री २० अंश की दूरी पर होता है, उस विस्तार को एक नक्षत्र मानते...