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ज्योतिषीय दृष्टि और पिता-पुत्र का संबंध :-
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घर मे लड़के का जन्म होते ही कभी कभी घर की आर्थिक, सामाजिक और मानसिक स्थिति सुधरने लगती है, जबकि कभी कभी घर मे लड़के के जन्म के दिन से ही आर्थिक, और सामाजिक परेशानियां पैदा हो जाती हैं।
ऐसा पुत्र और पिता का शत्रुता का संबंध होता है।
कभी लड़का बिमार ही पैदा होता है और पिता का धन और समय नष्ट कर देता है।तो कभी पिता की वजह से पुत्र उन्नति नहीं कर पाता।
शनि को सूर्य का पुत्र है, दोनों में शत्रुओं का संबंध है, यदि कुंडली में शनि – सूर्य का संबंध चाहे युति मे चाहे दृष्टि से संबंध हो तो या गोचर में आ जाए तो पिता पुत्र के संबंध प्रभावित होते ही हैं।
आइयें कुण्डली के विभिन्न लग्नों में ये समझते हैं―
(१) मेष लग्न → सूर्य दशम मे मकर राशि मे तथा शनि से दृष्टि मे है, यहां बालक का जन्म लेते ही पिता को आर्थिक हानि हुयी लड़का बिमार हुआऔर आर्थिक अभाव मे ईलाज न होने से लड़का अल्प समय मे साथ छोड़ गया।
(2) वृश्चिक लग्न में कुण्डली मे ग्यारहवें भाव मे सूर्य और पंचम भाव शनि बैठकर पूर्ण सप्तम दृष्टि से संबंध बना रहा है इस लड़के के जन्म होते ही पिता को भयंकर दरिद्रता प्राप्त हुई।
(4) कुंभ लग्न मे सूर्य मेष राशि का तृतीय भाव में तथा शनि तुला राशि का नवम मे होने से बालक के जन्म के साथ पिता दिवालिया हो गया।
(5) मकर लग्न की कुण्डली मे सूर्य वृश्चिक राशि में ग्यारहवें भाव मे तथा शनि की दृष्टि में है, पिता के स्वर्ग वास के बाद लड़के ने अच्छी उन्नति की।
(6) वृषभ लग्न में सूर्य मिथुन राशि का दूसरे भाव मे तथा शनि प़चम भाव में है । शनि सूर्य का संबंध होने से जीवनभर पिता पुत्र दोनों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा।
यदि कुंडली में शनि बल्लेबाज हुआ ,और सूर्य कमजोर हुआ तो पिताजी पर लड़का हावी होगा रहेगा।पिता की स्थिति दयनीय रहेगी।
समस्या निदान हेतु लड़के का पालन अलग घर अथवा स्थान पर हो।
लड़का नौकरी-व्यापार पिता के स्थान पर नहीं करे बल्कि अन्य शहर मे करें।