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ज्योतिष और रोग
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मानव को जीवित रहने के लिए प्रकृति प्रदत्त कुछ आवश्यक तत्वों पर आधारित रहना पड़ता है जैसे श्वास लेने के लिए हवा पर, खाने के लिए अन्न पर, पीने के लिए पानी पर, देखने के लिए प्रकाश पर।
श्वास लेने के लिए आँक्सीजन का निर्माण सूर्य की किरणें व पृथ्वी पर स्थित पेड़ की पत्तियों में फोटोसिंथेसिस क्रिया द्वारा होता है अतः यह स्पष्ट हो गया कि वायु के लिए जो प्राण वायु का करती है, सूर्य व पृथ्वी दो ग्रह ही विशेषकर सहायक होते हैं। भोजन तथा पानी के लिए पृथ्वी ही मुख्य रूप से सहायक होती है।
इस प्रकार अब यह पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाता है कि जिन मूलभूत तत्वों की मानव जीवन के लिए परम आवश्यकता होती है वे सब हमें पृथ्वी, सूर्य, चन्द्र आदि ग्रहों द्वारा ही प्राप्त होते हैं।
दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि मानव के जीवन पर ग्रहों, राशियों, तथा नक्षत्रों का पूर्ण रूप से प्रभाव व अधिपत्य होता है और इसी आधार पर हमारे ऋषि मुनियों ने शोध द्वारा यह भ प्रमाणित किया कि काल पुरुष के विभिन्न अंगों पर ग्रह,राशियों, व नक्षत्रों का प्रभाव व अधिपत्य होता है।
जन्म समय कुण्डली में जो राशि, ग्रह,व नक्षत्र क्रूर व पाप प्रभाव में होता है मानव शरीर का वहीं अंग विशेष प्रभावित होता है तथा उसी अंग से संबंधित कष्ट व बिमारी व्यक्ति को होती है, आगे आप देखेंगे कि किस राशि का किस अंग पर प्रभाव है।