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कुछ अटल तथ्य (सत्य) ज्योतिषीय दृष्टि में(कुण्डली)
(१) उच्च का शनि चतुर्थ भाव मे हो तो व्यक्ति माता से पीडित।
(२)उच्च का सूर्य चतुर्थ भाव में हो तो माता-पिता वियुक्त।
(३) नीच का सूर्य सप्तम भाव में हो और बुध-शुक्र का मध्यत्व भी हो तो व्यक्ति ब्रह्मचारी होता है( स्त्री वियोगी)
(४) यदि कुण्डली मे उच्च का शनि तृतीय भाव में हो तो व्यक्ति भाईयों का विरोधी।
(५) उच्च मंगल,सूर्य, शनि दशम भाव में हो तो व्यक्ति पिता का विरोधी।
(६) शनि सप्तम मे मंगल की राशि (मेष/वृश्चिक) मे एवं मंगल से दृष्ट भी हो तो व्यक्ति की शादी नहीं होती।
(७) मंगल गुरु की राशियों (धनु/मीन) मे हो और गुरु स्वयं तृतीय भाव में मंगल की (मेष/वृश्चिक) मे हो तो व्यक्ति स्त्री विलासिता मे रत रहता है
(८) मंगल, बुध,शनि कुण्डली के दशम भाव मे हो तो व्यक्ति रसिक मिजाज होता है।
(९) राहु और चंद्रमा यदि द्वादश भाव मे हो तो व्यक्ति विलासी जीवन जीता है।
(१०) नीच का जीवन दशम मे हो तो व्यक्ति का जीवन संघर्षमय होता है।
(११) शुक्र,चंद्र, बुध की युति यदि कुण्डली मे हो तो व्यक्ति रसिक शिरोमणि होता है।
(१२) यदि कुण्डली मे चंद्र और शुक्र यदि सप्तमेश हो तो व्यक्ति रसिक मिजाज होता है।
यदि उपरोक्त योग कुण्डली मे बन रहे हैं तो निश्चित ये समझना चाहिए क्योंकि ये हजारों कुण्डलियों के परीक्षण मे सत्य साबित हुए हैं।