210 total views, 1 views today

क्या कोई ग्रह कभी उल्टा चलकर अपनी कक्षा में चलकर सूर्य का चक्कर लगायेगा ? नहीं फिर गुरु की वक्री गति?
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
गुरु२० जून २०२१ रात्रि ८ बजकर ३४ मिनट से वक्री गति
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
वस्तुतः कोई भी ग्रह वक्री नही होता अर्थात कभी भी कोई भी ग्रह पीछे की ओर नहीं चलता सिर्फ ऐसा भम्र होता है।
घूमती हुई पृथ्वी से ग्रह की दूरी तथा पृथ्वी और उस ग्रह की अपनी गति के अंतर के कारण ग्रहों का उल्टा चलना प्रतीत होता है। इसका मतलब यह है कि सूर्य के एक ही ओर पृथ्वी और ग्रह (गुरु) अपने अपने पथ से सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं लेकिन ग्रह की अपेक्षा पृथ्वी की गति कई गुनी (लगभग) १२गुनी होने से हम पृथ्वी वासियों को ग्रह पीछे जाता मालुम पड़ता है उसके अंश घटने लगते हैं यही वक्री गति है।
आज २१जून २०२१ को देवगुरु वृहस्पति वक्री होने जा रहे हैं, जो २१जून से १४ सितम्बर २०२१ तक कुंभ राशि में तथा इसके बाद १८ अक्टूबर २०२१ तक मकर राशि में वक्र गति से भ्रमण करेंगे।
शुभ ग्रह वक्री अवस्था में और शुभफल करता है, जबकि अशुभ ग्रह वक्री अवस्था में और अशुभ फल करता है।
यहां एक ही बात फलो की मान्यता बदल देती है जब जन्म समय भी ग्रह वक्री होता है।
वक्री होने की स्थिति में गुरु के व्यवहार मे जरुर बदलाव आता है जैसे गुरु वक्री होने की स्थिति में फलों को देने मे देरी कर देते हैं। अर्थात अभी शुभफल है तो वक्री अवस्था में शुभफलों की प्राप्ति मे देरी होगी जिसे लोग अशुभ कह देते हैं और इसके विपरीत यदि अशुभ फल मिल रहे थे और उन फलों के आने मे देरी हो जाती है जैसे अशुभ फल आना रुक गये हो तो उसे लोग शुभ मान लेते हैं। यही वक्री ग्रहों की कहानी है।
अब हम वक्री ग्रह का प्रभाव मेष राशि के लिए जानते हैं।
जब भाव मे और राशि में ग्रह वक्री होते हैं तो उस राशि के भाव संबंधी काफी कुछ परिवर्तन आ जाता है।
मेष राशि से नवम भाव और द्वादश भाव का स्वामी होकर गुरु अभी एकादश भाव मे वक्र गति से भ्रमण करेगा जिससे धर्म और भाग्य में वृद्धि होगी, शय्या सुख का योग बनेगा। यदि लोग विदेश यात्रा के इच्छुक हैं तो जा सकते हैं। यारी दोस्ती खूब निभेगी।
गुरु पंचम दृष्टि से तृतीय भाव को देखने से भाई दोस्त और पराक्रम का लाभ होगा। सप्तम पूर्ण और मित्र दृष्टि से पंचम भाव को देखने से जिनकी शादी हो गई है उन्हें संतान प्राप्ति होगी।नवम शत्रु दृष्टि से सप्तम को देखने पर मंद व्यापार चल पड़ेगा और पत्नी से विरोध समाप्त होकर दाम्पत्य जीवन का सुख मिलेगा।
लेकिन जब गुरु १४ सितम्बर से १८ अक्टूबर २०२१ तक अपनी नीच मकर राशि में वक्री होकर गति करेगा तो राज्यकीय लाभ दिलायेगा अर्थात बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी।पंचम शत्रु दृष्टि से द्वितीय भाव को देखने से धन,कुटुम्ब और वाणी का सुख मिलेगा एवं शुक्र की राशि होने से अकस्मात धन प्राप्ति का योग है। सप्तम पूर्ण दृष्टि से राशि से चतुर्थ भाव को देखने से मकान निर्माण चालू हो जायेगा, गाड़ी खरीदने के इच्छुक लोगों को वाहन योग है माता जी को स्वास्थ्य लाभ होगा। लेकिन इन फलों की प्राप्ति मे देरी होने से वक्री गुरु अशुभ लगेगा।
राशि से गुरु की धवम पूर्ण दृष्टि षष्ठ भाव में पड़ने से ऋण से छुटकारा मिलेगा और शत्रु स्वतः ही समाप्त हो जायेंगे।
गुरु की दो राशियां है पहली धनु और दूसरी मीन राशि। गुरु कर्क राशि में उच्च का तथा मकर राशि में नीच का होता है अतः स्वाभाविक रूप से जब वक्री होता है तो कर्क राशि वालों को साकारात्मक फल और मकर राशि वालों को नकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है।
आमतौर पर व्यक्ति अपने परिवार कुटुंब ,देश, संतान-जिम्मेदारी तथा धर्म और कर्त्तव्य के प्रति ज्यादा चिंतित हो जाता है।
क्या करना चाहिए कि लिए धैर्य व गम्भीरता से कार्य की पकड़ कर नई योजना व नये कार्यो को गति देनी चाहिए।
अर्थात जहां असफल हो गये हो वहां से कार्य को पूरा करने और संवारने की चुनौती स्वीकार करें।
फलों के लिए जीवन मे चल रही महादशा, अंतर दशाअंतर और सभी ग्रहों का गोचर ,कुण्डली मे ग्रहों की स्थिति से बने योग आदि अनेक बातें जिम्मेदार होती हैं।अतः व्यक्ति विशेष अपना जानने के लिए सम्पर्क भी कर सकते हैं। अन्यथा अपना कौतुहल इतना पढ़कर शांति प्राप्त करें।