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तिथि बार क्या क्या न खाऐं→
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१-प्रतिपदा को कूष्माण्ड न खायें -धन नाश करता है।
२-द्वितीया को बैंगन न खायें-स्मृति को नाश करता है।
३-तृतीया को परवल न खाएं-शत्रुओं मे वृद्धि होगी।
४-चतुर्थी को मूली न खाऐं- धन का नाश होता है।
५-पंचमी को बेल न खाएं- कलंक लगता है।
६-षष्ठी को नीम की पत्ती न खाएं-नीच योनि प्राप्त हो।
७-सप्तमी को ताड़ का फल नहीं-रोगों में वृद्धि होगी।
८-अष्टमी को नारियल नहीं खाएं-बुद्धि नाथ होती है।
९- नवमी को लौकी त्याज्य है।
१०- दशमी को हरी सब्जियों को न खावें-त्याज्य है।
११-एकादशी को सेम न खाएं-पुत्र नाश कारक है।
१२-द्वादशी को पोईऔर मसूर नहीं-पुत्र नाशकारी।
१३-त्रियोदशी को बड़ा बैंगन- पुत्रनाशक।
१४-चतुर्दशी को मधु नहीं खाना चाहिए।
१५-पूर्णिमा को ज्वार/बाजरा नहीं खाने चाहिए।
३०-अमावस्या को ब्रह्मचर्य का पालन कर शुद्ध रहें।
संक्रांति, चतुर्दशी, अष्टमी, रविवार, श्राद्ध के दिन,व्रत के दिन तिल का तेल नहीं खाना चाहिए।हो सके तो तेल न,
रविवार को अदरक और लाल रंग का शाक नहीं खाना चाहिए।
कार्तिक मास में बैंगन एवं माघ माह मे मूली नहीं खानी चाहिए।
लक्ष्मी की ईच्छा रखने वाले को रात मे दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए यह नरक प्राप्ति कराने वाला भोजन है।
उपरोक्त सभी का सम्बंध या उल्लेख ब्रह्म वैवर्त पुराण मे , स्कन्द पुराण, सुश्रुत संहिता, चरक संहिता, पद्यपुराण,मनु स्मृति, कूर्म पुराण,महाभारत शांतिपर्व, आदि से लिया गया है।