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आधि और व्याधि―
आहार और औषधि―
क्या खाएं और क्या न खाएं―
पहले क्या खाएं और बाद मे क्या खाएं―
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आधि का अर्थ मानसिक पीड़ा से होता है जबकि व्याधि का संबंध शारीरिक पीड़ा से होता है।
व्याधियां ४ प्रकार की होती हैं।
(१) आगतुंज- जिसमें तीर ,तलवार, लाठी इत्यादि से चोट लगने से जो रोग हो।
(२) शारीरी- विषम भोजन के कारण जिसमें वात,पित्त, कफ,रुधिर, सन्निपात की विषमता हो निमित्त व्याधि।
(३) मानसिक- क्रोध, शोक,भय,हर्ष,विषाद,आनंद, पाच्श्राताप, ईर्ष्या, निंदा, दीनता,काम,लोभ आदि शब्द से मान,मद,दम्भ,इत्यादि ईच्छा और द्वेष से होने वाली व्याधि
(४) स्वाभाविक- भूख,प्यास,निंद्रा, वृद्धावस्था, मृत्यु, आदि स्वाभाविक व्याधि हैं।
भूख,प्यास ईश्वर निर्मित व्याधि है इसी से निवारण नही होती हैं।
भूख नामक रोग की जीवन भर औषधि खाने पड़ती है।
क्योंकि शरीर में बल, वर्ण,ओज का आहार कारण है।
आहार छः रसों के आधीन है।
रस द्रव्य के आधीन हैं।
द्रव्य औषधियों के आधीन है।
औषधि २ प्रकार की होती हैं
(१) स्थावर तथा (२) जगंम
स्थावर भी ४ प्रकार के होते हैं।
(१) वनस्पति (२)वृक्ष (३) वीरुध (४) औषधी
आईये इनको संक्षेप मे समझ लेते हैं।
(१) वनस्पति→ फूल रहित फल वाली जैसे पाखर,गूलर
(२) वृक्ष→जिसमें फूल और फल दोनों जैसे आम, जामुन
(३) वीरुध→ जो धरती पर फैल जाती हैं जैसे करेला, गिलोय, शालपर्णी,पृष्ठपर्णी अर्थात गुल्मवान।
(४) औषधि→ जो फल पकने पर स्वयं नष्ट हो जाये जैसे गेहूं, चना इत्यादि धान्य।
पहले पढ़ चुके हैं कि भूख नामक रोगकी औषधि अर्थात आहार जीवन भर सुबह शाम या तीन बार लेना पड़ता है।
आईये जाने आहार कितने प्रकार का―
(१) चोष्य- जो चूसा जाये जैसे ईख, आम।
(२)पेय- जो पीया जाये जैसे पना,शर्बत।
(३) लेह्य- जो उंगलियों से लिपटे- जैसे ल्हपसी,शिखरन
(४)भक्ष्य- जिसे भक्षण करा जावे जैसे लड्डू, पेड़ा,बर्फी
(५) भोज्य- जो भोजन करा जावे दाल-भात आदि।
(६) चर्व्य- जो चबाया जावे जैसे चना,चिरवा, पापड़।
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