May 17, 2021

Vakri Shani Effects: Complete Analysis For Kumbh & Other Rashi 2021

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२३मई २०२१ से २१जून २०२१ के बीच तीन ग्रह वक्री
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वक्री शनि २३मई२०२१ समय १४:५० से १४१दिन तक
वक्री गुरु २१जून २०२१ समय २०:३५से १२० दिन तक
वक्री बुध ३०मई २०२१ समय २८:०५ से ०२५ दिन तक
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# कुम्भ राशि पर प्रभाव #
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शनि ही एकमात्र ऐसे ग्रह है, जो वक्री होने की स्थिति में कुण्डली धारक को कुछ न कुछ अवश्य अशुभ फल प्रदान करते है ।
शनि निर्बल होने पर अधिक दुःख देता है, जबकि बलवान होने पर दुःखों का नाश करते हैं।
शनि व्यक्ति को सुधरने का अवसर देता है, नहीं सुधरने पर दण्ड भी अवश्य देता है।
शनि एक तरफ चिंतनशील, गहराईयों मे जाने वाला योगी बनाता है, तो दूसरी तरफव्यक्ति को दिवालिया कर भिखारी भी बना देता है।
मानव का स्तर ऊंचा ले जाता है या नीचे गिरा देता है।
वक्री होने की स्थिति में व्यक्ति के स्वभाव में एक नकारात्मकता अवश्य आ जाती है। यदि जन्म के समय व्यक्ति की कुण्डली मे शनि वक्री और फलकारी है तो गोचर का शनि मिश्रित फल करेगा अर्थात कभी लाभ तो कभी हानि देगा । परन्तु शनि जन्मकुंडली मे वक्री और अशुभ फलकारक हो तो अत्यधिक नुकसानदेह होगा।ऐसे लोग जनसंपर्क से घबराते हैं, चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते हैं। दोहरा जीवन जीते हैं, दिखावा अधिक करते हैं।
शारीरिक श्रम नहीं करते, परन्तु आध्यात्मिक पक्ष मे वे बाजी मार लेते हैं। ऐसे लोग भाग्यवादी, एकांतप्रिय,लापरवाह ,डरपोक और लचीले स्वभाव के होते हैं।
जन्म कुण्डली मे वक्री शनि और गोचर मे भी वक्री शनि हो तो अटके कार्यो मे गति एवं सफलता मिलेगी।

जन्म राशि से तीसरा, छठा, और ग्यारहवां शनि जातक को अच्छे फल प्रदान करता है। उपरोक्त शर्तें लागू रहेगी।
इसमें वृश्चिक, सिंह और मीन राशियों को इस समय लाभ मिलेगा।
परन्तु जिन राशियों पर साढेसाती साती के ढैय्या और कंटक राशि या लघुकल्याणी ढैय्या वाली राशियों को अशुभ प्रभाव करते हैं इस समय कुंभ,मकर,धनु राशि पर साढ़साती के ढैय्या, तथा तुला,कर्क,मेष पर कंटक शनि एवं मिथुन राशि पर अष्टम शनि का ढैय्या अर्थात लघुकल्याणी ढैय्या चल रहा है।

पहले जिन राशियों पर शनि की साढेसाती के ढैय्या चल रहे हैं उनकी बात करते हैं।
साढ़ेसाती का प्रथम ढैय्या कुंभ राशि पर चल रहा है- तो इस राशि के व्यक्तियों को इस समय अत्यधिक व्यय,आर्थिक परेशानी, भाग्य कमजोर, पिता को कष्ट, यात्राओं में परेशानी स्वास्थ्य मे गिरावट, स्नायु और नेत्र सम्बंधी विकार सम्भव हैं।
इस कुंभ राशि की कुण्डली मे द्वादश भाव मे शनि बैठकर तृतीय पूर्ण दृष्टि से दूसरे भाव को देखेगा जिससे धन,कुटुम्ब, और परिवार को परेशानी होगी। साथ ही साथ सप्तम पूर्ण दृष्टि से षष्ठ भाव को देखेगा तो ऋण,रोग और शत्रुओं का नाश हो जायेगा। इसके आलावा शनि की दशम पूर्ण दृष्टि नवम भाव पर होगी जिससे धर्म कर्म की नहीं और पिता सुख मे हानि की सम्भावना रहेगी।

उपरोक्त कुंभ राशि के विवेचन मे शर्तें शामिल हैं कि यदि पूर्व अर्थात जन्म कुण्डली मे वक्री तथा शुभ हो तो ,गोचरीय वक्री शनि समय मे खराब फल मिलने कम हो जायेंगे, तथा फलकारक समय होगा।यदि जन्म समय शनि अशुभ एवं मार्गी होगा तो समय खराब फल देगा।
एक अन्य बात भी यहां लागू होती है कि वक्री शनि १४१दिन आगे की राशि का फल देते हैं उसके बाद अपनी स्थित राशि का, इस स्थिति में मकर राशिस्थ शनि कुंभ राशि का फल करेंगे जो बहुत ही शुभ और श्रेष्ठ है शनि के लिए । इक और बात कुंभ राशि स्थिर राशि है जिसमें शनि ज्यादा खराब फल नहीं करते हैं।

यदि संबंधित या उल्लेखित खराब फल करेंगे तो कब करेंगे यह बात भी जानना आवश्यक है।
वक्री अवधि के दौरान शनि अर्थात १४१दिन ( २३/५/२०२१ से ११/१०/२०२१ तक) श्रवण नक्षत्र मे ही गोचर करेगा जो चन्द्रमा का नक्षत्र है जिसमें नहीं की मैत्री नहीं है, अतः पूरी ताकत से मनमाना फल नहीं कर सकेगा ,लेकिन जब भी मित्रों ग्रहों के उप नक्षत्रों में गोचर भ्रमण करेगा तो अपना फल अर्थात दुःख दे देगा।
ये समय होगा २९/९/२०२१ से ११/१०/२०२१ के बीच का अर्थात १५दिन का।
दूसरा ३०/५/२०२१ से ५/६/२०२१के बीच का अर्थात ०७दिन का।
तीसरी बार २०/६/२०२१ से २७/६/२०२१ तक अर्थात ०८दिन का ।
कुल १५+०७+०८= ३०दिन । इसका मतलब १४१दिन में से सिर्फ ३०दिन हमारे अच्छे या खराब हो सकते हैं।शेष दिन वैसे के वैसे ही गुजरेंगे जैसे शनि के वक्री होने के पहले थे।

कुंभ राशि वालों के लिए शनि द्वादश भाव और प्रथम भाव का स्वामी है, तथा व्यक्ति का राशि स्वामी भी स्वयं है। बारहवें भाव में वक्री शनि श्रवण नक्षत्र मे गोचर करेगा, बारहवां भाव मोक्ष,खर्चे और चिकित्सा का है। अतः व्यक्ति को चाहिए कि कुशल योद्धा की तरह प्रयास करें , लाभ मिलेगा पर धीमे धीमे मिलेगा।नया काम ,विस्तार और नई जिम्मेदारी भी मिलेगी जिसमें घर के सदस्यों का समर्थन मिलेगा। तृष्णा बढ़ाने अतः आध्यात्मिकता का सहारा ले। द्वादश भाव में गोचरीय शनि अपनी तृतीय पूर्ण दृष्टि से दूसरे भाव को देखेगा। दूसरा भाव मीन राशि अर्थात गुरु का है जिससे शनि मित्रता रखता है अतः परिवार में एकता रहेगी, व्यवसाय मे उन्नति होगी साथ ही साथ आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। शनि अपनी दशम पूर्ण दृष्टि से नवम भाव को देखेगा अतः भाग्य करवट ले रहा है तो,खनन,मेडिसिन, कन्ट्रेक्शन, कोयला, लोहा, गैस इत्यादि क्षेत्रों से लाभ होगा।
द्वादश भाव में गोचरीय वक्री शनि अपनी सप्तम पूर्ण दृष्टि से षष्ठ भाव को देखेगा जो चंद्रमा की राशि है। शनि चन्द्र का मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं है अतः ऋण,रोग,और शत्रु एवं विरोधियों को समाप्त करेगा। महत्वपूर्ण कार्य में जल्दबाजी से बचें, कानून के पचड़ों से बचें,अपने प्रतिद्वंद्वियों पर पेनी नजर रखें। नई जिम्मेदारी मे सावधानी बर्ते।
यहां बात हो रही है कि शनि क्या करेगा, शनि के अलावा शेष ८ ग्रह भी तो है तो वे भी कुछ न कुछ फल तो अवश्य ही करेंगे।…….

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1 Response

  1. विनोद says:

    धन्यवाद गुरूजी

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